बहके कदमो के निशां
👨👩👨👩👨👩👨👩👨 🙏#वो #पहली #मुलाकात🙏 👩👨👩👨👩👨👩👨👩 🙏#सबक #की #तहरीर🙏 👨👩👨👩👨👩👨👩 मेरे जीवन में आयेगा जब कोई प्यारा सा मेहमान! मैं सोचता था कब कैसे होगी उससे मेरी पहचान!! धीरे धीरे लम्हें कटते रहे और दिन गुजरते रहे! सालों साल हम इसी दिनचर्या में भटकते रहे!! सोचा ना था ऐसा पल भी आयेगा मेरे जीवन में! उस पल को हम भूल ना पाए किसी सीजन में!! एक शादी समारोह की नजारों बाली हसीं वो रात थी! उसके खूबसूरत चेहरे पर हल्की सी एक मुस्कान थी!! देखते ही हम दोनों की नजरें आपस में यों टकरा गई! मैंने पकड़ा उसका हाथ तो मुस्कुरा के वो शरमा गई!! हम चुपके से उसके दिल को अपने दिल से जोड़ते रहे! उसके दिल में उतरते उतरते हम तमाम हदें तोड़ते गए!! हमारा प्यार देखकर कई हम उम्र के लड़के जलने लगे! निश्चिंत पंछियों की तरह हम नीले गगन में उड़ने लगे!! इश्क के आलम में ना खुद की चिंता थी और ना कभी औरों की हमने परवाह की! इधर लोगों की बड़ी ही तेज सुगबुगाहट उधर हम दोनों की मुहब्बत भी बेपनाह थी!! जैसे जैसे लोगों की कानाफूसियां बढ़ती गई वैसे ही हम दोनों की खामोश मुहब्बत ने समाज के लोगों से बगावत का आगाज किया! घरों से निकलने में पाबंदियां शुरू हुईं अब मिलने में भी दूरियां हुईं हमारे दिलों की बेचैनी ने हम दोनों को घरों से ही आजाद किया!! माँ बाप ही औलाद के सबसे बेहतर शुभचिंतक होते हैं घर से भाग कर हमें ये अहसास हुआ! कैसे कह दूं कि घर छोड़ने के बाद हमारे मददगारों ने ही सबसे ज्यादा हमारा इस्तेमाल किया!! घर से भाग आने के बाद उसके माँ बाप भाइयों के उसके लिए भूखे प्यासे रो रो कर बहुत बुरे हाल हो गए! हमने अपनी दो रोज की मुहब्बत पाने की चाहत में उन्हें छोड़ा जो हमारी परवरिश के लिए बेहाल हो गए!! उन तड़पते हुए माँ बाप के दिलों की धड़कन जो अब मेरे दिल की बनी धड़कन है उसको एक रोज अपने प्यारे माँ बाप की याद आई! मोबाइल के ऑफ स्विच को स्विच ऑन कर जब उसकी माँ से मैंने बात कराई तो उसकी बिलखती माँ बिन बछड़ा गाय सी डकराई!! उसकी घबराहट माँ की छटपटाहट देखकर मुझे भी उसकी छटपटाती हुई माँ की सूरत में अपनी छटपटाती हुई माँ नजर आई! दुनियां के तानों से शर्मशार होकर तिल तिल मरती हुई उस बिलखती हुई माँ के आंसूओं की कसक मेरी आंखों में उतर आई!! एक तडफती हुई माँ की निस्वार्थ मुहब्बत देखकर मैंने अपने दिल पर पत्थर रख अपनी धड़कन को हमेशा के लिए अपने दिल की चारदीवारी से आजाद कर दिया! एक माँ के कलेजे को चीर कर अपने महबूब की चाहत पाऊं ऐसा बेगैरत मैं नहीं इसीलिए मैंने अपने महबूब को अपने से जुदा कर उसके माँ बाप के पास कर दिया!! महबूब की चाहत पाने के लिए उसके माँ बाप के अरमानों की बली चढ़ाना ये ठीक नहीं!! अपने माँ बाप को तड़पने के लिए छोड़ घर छोड़ कर घर से भाग जाना ये ठीक नहीं!! मेरे नौजवान साथियों ऐसा प्यार कभी मत करना जिससे हमारे माँ बाप को हमारी वजह से कभी शर्मिंदगी उठानी पड़े! मेरे नौजवान साथियों चाहत की ऐसी लालसा कभी मत रखना जिससे कभी माँ बाप को अपनी इज्जत गंवानी पड़े!! 🙏जय हो औलाद के लिए समर्पित माँ बाप की!🙏🙏 🙏जय हो माँ बाप के स्नेह और आशीर्वाद की!!🙏🙏 🌹जय माँ श्री श्यामा देवी जी🌹 आपका अपना अनिल श्यामा कुमार चक बेवर बाले!

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